Monday, 12 August 2019

तरक्की

दृश्य १
एक निर्जन सा चौराहा
बड़ा सा पेड़
साँय - साँय करती हवा
इक्का दुक्का गाड़ियाँ
मुट्ठी भर लोग

दृश्य २
एक छोटा सा चौकोर पत्थर
लाल काली रेखाएँ
थोड़ी सी अगरबत्तियाँ और एक दिया

दृश्य ३
स्वयं घोषित सेवक
कुछ रेड़ियों में फूल मालाएँ
ढोल मंजीरे

दृश्य ४
नींव का पत्थर
छोटा सा चबूतरा
 बड़ी तेज़ी से बढ़ती इमारत
उससे भी तीव्र गति से बढ़ती दान - पेटी
और उससे भी तेज़
बढ़ते पेट, महल, नौकर चाकर और गाड़ियाँ
अनगिनत भक्त
कुर्सी तक पँहुच ।

©®अमनदीप / विम्मी
१३-०८-२०१९

Friday, 9 August 2019

चिट्ठी



स्कूल में मेरी एक किताब
मेरे डेस्क से गायब हो जब वापस लौटी
तो साथ में एक चिट्ठी भी लाई थी
उसमें साफ सुथरे शब्दों में लिखा था
आई लव यू
बहुत सम्भाल कर रखा उसे
जिल्द के अन्दर छुपा कर
लेकिन
माँ की आँखों में कुछ ऐसा होता है
जो देख लेता है वो सब भी जो हम दिखाना नहीं चाहते
और हाथों में जादू
जो ढूंढ लेता है वो सब भी जो हम छिपाना चाहते हैं
बातों बातों में बहुत सी नसीहतें देती है
पता है इस उम्र में लड़के थोड़ा बदमाश हो जाते हैं
कभी गाना गाते हैं तो कभी चिट्ठी भिजवाते हैं
चिट्ठी अभी भी वहीं है
जिल्द के नीचे, पर फिर भी
बातों बातों में ही पूछ लेती है वो चलते फिरते
तुझे किसी ने चिट्ठी लिखी है ?

©®अमनदीप/विम्मी

कविता संग्रह

  https://www.amazon.in/dp/B09PJ93QM2?ref=myi_title_dp