Thursday, 20 January 2022

बाल कविता

 #बाल #कविता


आसमान में तारे देखे, बन्दर भालू सारे देखे

चाँद पे बूढ़ी दादी देखी,पहने सूत की साड़ी देखी


नानी के घर छत पर सोए ढेरों सपन सलोने देखे

रात अँधेरे सपनों के संग जुगनू सारे जगते देखे

सुबह सवेरे आँखें खोले सपनों की अँगड़ाई देखी

साँझ ढले चंदा मामा की तारों सँग कुड़माई देखी


बारिश की रिमझिम बूंदों में अद्भुत एक नज़ारा देखा

इन्द्रधनुष  के सात रंगों में माँ का आँचल सारा देखा

अम्बर के आँगन में फैली रुई की नरम तलाई देखी

पापा के दृढ़ आलिंगन में मन भावन गरमाई देखी


रँग बिरंगे पंछी हमने हिम शिखरों पे उड़ते देखे

गंगा के पावन घाटों में कितने पाप पिघलते देखे

खेतों में कभी खलिहानों में धानी चादर खिलती देखी

वीरों के सीने की धड़कन तिरंगे संग धड़कती देखी


गहन कालिमा चीर सवेरे सूरज रोज निकलता देखा

तप्त धरा को मिलने आतुर बादल बूँदे बनता देखा

रात पिघलती रही धरा पर शबनम रोज ठहरती  देखी

मंज़िल की चाहत में जागी लौ आँखों में पलती देखी


©®अमनदीप "विम्मी"

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