वो आई
मिली मुझसे
बहुत दिनों बाद
हमने बहुत सारी बातें की
जाने के लिए उठी
मुड़ी, मुड़ कर चली गई
तब से एकदम खाली बैठी हूँ....
खालीपन
सिर्फ रिक्त होने से नहीं होता
ये होता है
लबालब भरे होने के बाद भी....
सुख या दुःख
दोनों ही अवस्था में
लबालब होने
या कि रिक्त होने पर
संज्ञाशून्य हो जाता है मनुष्य
यह एक क्षणानुभूति उसे बना देती है बुद्ध...
©®अमनदीप/विम्मी
No comments:
Post a Comment