Wednesday, 8 July 2020

एक क्षणानुभूति बना देती है बुद्ध


वो आई 
मिली मुझसे
बहुत दिनों बाद
हमने बहुत सारी बातें की
जाने के लिए उठी
मुड़ी, मुड़ कर चली गई
तब से एकदम खाली बैठी हूँ....

खालीपन 
सिर्फ रिक्त होने से नहीं होता
ये होता है 
लबालब भरे होने के बाद  भी....

सुख या दुःख
दोनों ही अवस्था में
लबालब होने
या कि रिक्त होने पर
संज्ञाशून्य हो जाता है मनुष्य
यह एक क्षणानुभूति उसे बना देती है बुद्ध...

©®अमनदीप/विम्मी

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