मैं एक माँ हूँ
मेरा सबसे बड़ा दर्द आज यह है
कि मैं अपनी बेटी को
किसी एक जात ( मर्द ) पर
विश्वास करना नहीं सिखा पा रही....
अलबत्ता कहना चाह रही हूँ
पहले करना अविश्वास
यह जानते हुए भी कि किसी भी रिश्ते की नींव
टिकी होती है विश्वास पर ...
पर, एक सच यह भी तो है
विश्वास टूटता भी है वहीं
जहाँ सबसे ज्यादा विश्वास होता है...
यह अविश्वासी समय है.. खत्म ही नहीं होता।
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