कई बार कोई बहुत जरूरी चीज़
बहुत सम्भाल कर रखती हूँ
इतना कि भूल जाती हूँ
रख कर उसे......
फिर बहुत ढूँढने पर भी नहीं मिलती वह
ऐन ज़रूरत के वक्त....
तुम्हें सम्भालने में भी यही गलती हुई हो शायद !
©®अमनदीप "विम्मी"
दिल से निकली बातें जो दिल को छू जाएँगी । सबके दिलों को छूने के छोटे छोटे प्रयासों में आप सब की शुभकामनाओं की चाह के साथ , आप सब को समर्पित!!! " ख़ुश्बू-ए-इत्र मुबारक़ ए ज़माने तुझको मेरा किरदार ही काफ़ी है महकने के लिए "
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