#बाल_कविता
बादल आए बादल आए
नीले नीले नभ पर छाए
पेड़ों ने अपनी बाँह पसारी
उनके घर गूँजी किलकारी
पंछी चहके उपवन महके
भँवरे फिरते बहके बहके
नदी-ताल ने आँख बिछाई
झरनों ने भी दौड़ लगाई
आओ मिलकर नाचे गाएँ
बादल को कुछ और रिझाएँ
बादल देख मोर नाचेगा
देखो फिर पानी बरसेगा
छम-छम छम-छम
छम-छम छम-छम
©®अमनदीप "विम्मी"
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