Saturday, 5 June 2021

छम-छम, छम-छम, छम-छम, छम-छम


 #बाल_कविता


बादल आए बादल आए

नीले नीले नभ पर छाए


पेड़ों ने अपनी बाँह पसारी

उनके घर गूँजी किलकारी


पंछी चहके उपवन महके

भँवरे फिरते बहके बहके


नदी-ताल ने आँख बिछाई

झरनों ने भी दौड़ लगाई


आओ मिलकर नाचे गाएँ

बादल को कुछ और रिझाएँ


बादल देख मोर नाचेगा

देखो फिर पानी बरसेगा


छम-छम छम-छम 

छम-छम छम-छम

©®अमनदीप "विम्मी"

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