Monday, 22 November 2021

बन्दर मामा



देखो बाबू बन्दर मामा

पहने बैठा लाल पजामा

मदारी उसको नाच नचाता

बच्चों का वो दिल बहलाता।


मदारी बोला सुन रे भोलू

कब तक तू लाएगा जोरू

भोलू पीली टोपी लाया

दूल्हा बन बहुत इतराया

बोला अंकल ढोल बजाओ

सारी दुनिया को बतलाओ

लाऊँगा दुल्हन भोली भाली

रोशन होगी अब दीवाली।


मदारी बोला सुन रे भोलू

बिना पढ़े न मिलती जोरू

अ, आ, इ, ई, तुझे पढ़ाऊँ

राजा बेटा तुझे बनाऊँ

भोलू जा कुर्सी पर बैठा

मुँह फुलाए सबसे ऐंठा

बाबू बन मैं क्या करूँगा

बिन नौकरी भूखा मरूँगा।


मदारी बोला सुर रे भोलू

भूल जा तब न आए जोरू

पढ़े लिखे की पूछ है होती

बिना पढ़े मिले न मोती

अक्षर ज्ञान बहुत ज़रूरी

अब जो तेरी हो मंजूरी

बैठ इधर अब पाठ पढ़ाऊँ

जीवन पथ की राह दिखाऊँ।


भोलू को समझ बात ये आई

बैठ गया फ़िर बिछा चटाई

बोला अंकल चलो पढ़ाओ

सही गलत सब समझाओ

बच्चों तुम भी याद यह रखना

पढ़ना लिखना सच्चे बनना।


©®अमनदीप " विम्मी "


Friday, 12 November 2021

 कयासों से भीगते मन में

पतझड़ की जगह

बसन्ती फूल खिल रहे हैं

तुम्हारा आना महज़ एक समाचार नहीं है......!!


©®अमनदीप "विम्मी"


इश्क़ मैं करती हूँ

 सवालों के टकराने भर से टूट जाता है

दिल है कि पानी का बुलबुला कोई....!!


©®अमनदीप "विम्मी"


वह चाहत सा मिलता है

मैं रूह सी छूती हूँ !


वह धूप सा खिलता है

मैं छाँव सी भरती हूँ !


वह धवल सा दिखता है

मैं रंग से लिखती हूँ !


इस तरह थोड़ा सा 

इश्क मैं करती  हूँ ......!!


©®अमनदीप "विम्मी"

कविता संग्रह

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