देखो बाबू बन्दर मामा
पहने बैठा लाल पजामा
मदारी उसको नाच नचाता
बच्चों का वो दिल बहलाता।
मदारी बोला सुन रे भोलू
कब तक तू लाएगा जोरू
भोलू पीली टोपी लाया
दूल्हा बन बहुत इतराया
बोला अंकल ढोल बजाओ
सारी दुनिया को बतलाओ
लाऊँगा दुल्हन भोली भाली
रोशन होगी अब दीवाली।
मदारी बोला सुन रे भोलू
बिना पढ़े न मिलती जोरू
अ, आ, इ, ई, तुझे पढ़ाऊँ
राजा बेटा तुझे बनाऊँ
भोलू जा कुर्सी पर बैठा
मुँह फुलाए सबसे ऐंठा
बाबू बन मैं क्या करूँगा
बिन नौकरी भूखा मरूँगा।
मदारी बोला सुर रे भोलू
भूल जा तब न आए जोरू
पढ़े लिखे की पूछ है होती
बिना पढ़े मिले न मोती
अक्षर ज्ञान बहुत ज़रूरी
अब जो तेरी हो मंजूरी
बैठ इधर अब पाठ पढ़ाऊँ
जीवन पथ की राह दिखाऊँ।
भोलू को समझ बात ये आई
बैठ गया फ़िर बिछा चटाई
बोला अंकल चलो पढ़ाओ
सही गलत सब समझाओ
बच्चों तुम भी याद यह रखना
पढ़ना लिखना सच्चे बनना।
©®अमनदीप " विम्मी "