सवालों के टकराने भर से टूट जाता है
दिल है कि पानी का बुलबुला कोई....!!
©®अमनदीप "विम्मी"
वह चाहत सा मिलता है
मैं रूह सी छूती हूँ !
वह धूप सा खिलता है
मैं छाँव सी भरती हूँ !
वह धवल सा दिखता है
मैं रंग से लिखती हूँ !
इस तरह थोड़ा सा
इश्क मैं करती हूँ ......!!
©®अमनदीप "विम्मी"
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