कभी सपनो में तो कभी,
दीवार पर लगे पोस्टर से झांकते हो .
आ क्यों नहीं जाते
सामने मेरे
उग क्यों नहीं पड़ते मेरे अन्दर
जानती हूँ
सूख गयी है कोख
जो उगते हैं सूखी धरती पर
वो कैक्टस क्या सुन्दर नहीं होते ?
कांटे होने पर भी
सजती है धरती उनसे
फूल भी उगते हैं उन पर
तुम भी उग पड़ो एक बार .........
बस , एक बार .........
फिर चाहे कैक्टस बन कर!!!!
©®अमनदीप / विम्मी
दीवार पर लगे पोस्टर से झांकते हो .
आ क्यों नहीं जाते
सामने मेरे
उग क्यों नहीं पड़ते मेरे अन्दर
जानती हूँ
सूख गयी है कोख
जो उगते हैं सूखी धरती पर
वो कैक्टस क्या सुन्दर नहीं होते ?
कांटे होने पर भी
सजती है धरती उनसे
फूल भी उगते हैं उन पर
तुम भी उग पड़ो एक बार .........
बस , एक बार .........
फिर चाहे कैक्टस बन कर!!!!
©®अमनदीप / विम्मी
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