Monday, 9 July 2018

खामोश रहकर भी सब कुछ कह जाएगा
दिल को अनजाना सा दर्द दे जाएगा

कह दे जो भी मन में है तेरे ऐ दोस्त
कल तक कहाँ ये लम्हा ठहर पाएगा

रफ्ता रफ्ता गुजर जाएगी  ज़िन्दगी यूँ ही
ना मैं रह पाऊँगी ना ही तू रह जाएगा |

©®अमनदीप / विम्मी

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कविता संग्रह

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