Saturday, 13 July 2019

सराय

सराय

औरतों ने खुद को सराय बना रखा है
कोई दिन को लौटता है
कोई शाम को
और कोई रात को
अपनी अपनी मजबूरियों की पोटली लिए
 हर कोई ढूँढता है जगह
सोने की, नहाने की या फिर
मैला धोने की
फिर चला जाता है दिन, शाम और रात को लौटने के लिए
औरतों ने  कई दिन, शामें और रातें तन्हा गुज़ारी हैं
सराय बन कर ।

©®अमनदीप/ विम्मी

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