Wednesday, 25 September 2019

मन का रिश्ता


शारीरिक रूप से माँ न बन पाने वाली
औरतें
जोड़ लेती हैं रिश्ता
हर बच्चे के साथ ।
उसके नाक, कान, हाथ या बाहों की बनावट से
कभी उनकी लम्बाई या चौड़ाई से भी
या फिर उसके रोने, हँसने और रंग से जुड़ कर,
बहुत मीठी मुस्कुराहट होठों पर उतार
पूछतीं हैं नाम और पता ।
मन ही मन उस घर के आँगन में
अपनी परछाई टटोलतीं
या कभी बुहारती उस आँगन को
छोटे-छोटे, रंग-बिरंगे स्वेटर बुनती
याद करती हैं लोरियां
तितलियों में रँग भरने की कभी कोशिश
या मक्खन निकालते वक़्त कान्हा का ध्यान,
मानसिक रूप से माँ बनते ही
यूँ ही अकस्मात सब छोड़
दौड़ पड़ती हैं
सारे पूर्वाग्रहों को पछाड़
अनाथालय की तरफ़।

©®अमनदीप / विम्मी
25 / 09 2019

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