Monday, 25 November 2019

प्रेम में होना जरूरी है

सब कुछ छोड़ कर चले जाना चुप-चाप
 बुद्ध  होने के लिए जरूरी है क्या ?
तुम एक काम करना
तुम जा कर आना
आने से पहले कर आना गंगा स्नान
बहा आना मन की अनगिनत कुंठाएँ
या फिर
किसी मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारे की ड्योढ़ी पर
बैठ सुनना मन की
विसर्जित कर आना सारी पीड़ाएँ
किसी बहती नदी में
निर्मल हो लौट आना
पर्वतों के धीर-गम्भीर अनुपम सौंदर्य के साथ
झरनों का मधुर संगीत
मिट्टी की पाक खुशबू लिए
संसार के नियम उलट कर
लौट आना
मुमुक्षु होने के लिए जरूरी है प्रेम में होना
मेरे पास आ निष्कपट मन से करना प्रेम
और बुद्ध हो जाना
यकीन मानो
इस भौतिक वादी युग में
सांसारिक जीवन जीते हुए बुद्ध हो जाना
अप्रतिम संयोग है।
२५/११/२०१९

Tuesday, 5 November 2019

सलवटें

देखा है कई बार
छिपाते हुए सलवटें नव वधु को
कभी चादर की तो कभी चेहरे की
नहीं लगने देतीं पता
तन और मन के घाव...

चेहरे की सलवटें उभरने के पहले ही
चुप करा दी जाती हैं लड़कियाँ
बोलना संस्कृति और सभ्यता के विरुद्ध है
और मानसिक खोखलापन
घर जोड़े रखने की पहली शर्त ...

उन चादरों को छुपा दिया गया
जिन पर कभी नहीं पड़ीं सलवटें
मढ़  दिया गया लड़कियों पर
त्रियाचरित्र का दोष
लड़कों की चरित्रहीनता को पुरुषार्थ माना गया....

रिश्ते की कड़वाहटों के लगे अलग अलग मायने
उन्हें जोड़े रखने के लिए लगाए गए पैबन्द और गठानें,
पैबन्दों को दिए गए काल्पनिक रँग
किन्हीं को दाग
और
किन्हीं गठानों को लुभावने वादे ।

अमनदीप / विम्मी
०६/११/२०१९


कविता संग्रह

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