Tuesday, 12 May 2020

विश्वास सन्नाटा और शोर

जब विश्वास का तारा
टूटता है...
तो होती है
गूँज...
न भरने वाले
सन्नाटे की...
और फिर
पसरता है
शोर ही शोर...
भीतर
परत दर परत...

©® अमनदीप/विम्मी

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