Tuesday, 12 May 2020

प्रेम और नियति

प्रेम और नियति

प्रेम को
चाहिए अभिव्यक्ति..
अभिव्यक्ति को
आज़ादी..
आज़ादी की
एक तय सीमा..
सीमा को
स्वछंदता की उम्मीद...
उम्मीद को
नया आसमान....
आसमान जिस पर
सबका हक है...
हक सबको
मंजूर नहीं है...
जहाँ मंजूरी नहीं
वहाँ प्रेम का मरना
नियति है...

©®अमनदीप/विम्मी

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