बहुत हुआ
अब थम जाओ
काट डालो
पैने डंक
जो तुमने
उगा रखे हैं
मन की
अंदरूनी तहों में...
बस करो कि
जब न रहो तुम
बची रहे तुम्हारे
हिस्से की जमीन
त्रिशंकु होना
अच्छा नहीं लगेगा तुम्हें...
विश्वास रखो
नाखूनों रहित
कोमल दिल
बचा लेंगें
अनगिनत हाथ....
वही हाथ
फिर
उठेंगे दुआओं में
और बचा लेंगें
मानवता
पूरा सूरज बचाना हो
तो
बचा लो
अपने अपने
हिस्से का सूरज
बिना कलह...
क्योंकि
भयावह है जो
आज मैंने सुना ...
मैंने सुना ईश्वर को
इश्वर से बात करते
उसने ईश्वर के साथ
होती
बदसलूकी देख
ईश्वर होने से
मना कर दिया....
©®अमनदीप/विम्मी
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