दूरियाँ भी
कितनी अजीब होती हैं ना....
हम एक दूजे की
खूबियों, ख़ामियों, ख़्वाहिशों
यहाँ तक कि
खामोशियों से भी परिचित थे...
हमने चुम्बक की प्रकृति की तरह
समान होने के बावजूद
हमेशा धकेला
दूसरे को खुद से परे
और
पास होते हुए भी रहे दूर ....
इसके इतर,
वो जिनके बीच थी
विपरीत ध्रुव भर की दूरियाँ
एक दूसरे की
खूबियों, ख़ामियों, ख़्वाहिशों, खामोशियों से अनजान
एक दूसरे को
अपने आकर्षण में बाँधे रखा
वे दूर होकर भी पास रहे हमेशा....
©® अमनदीप/विम्मी
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