Thursday, 9 July 2020

कुछ शेर

" किसे फिक्र थी यहां अपनी उड़ानों की
गलतियाँ ढूँढते फिरते थे आसमानों की "
©®अमनदीप/ विम्मी


आँखों में  ही अश्क सँभल जाएँ तो बेहतर है
कुछ ज़ख्मों का यूँ भी बहना नहीं अच्छा।
©®अमनदीप/ विम्मी


तुम्हारे और मेरे प्यार में फर्क कहाँ था
मैं भी तुम को चाहती थी  और तुम भी खुद को
इस तरह मेरा मैं और तुम्हारा तुम कभी नहीं टकराए
©®अमनदीप/ विम्मी


" दोस्त कहते थे जिसे वो बिक गया बाज़ार में

अपनी पसन्द पर नाज़ है कहते इतराते थे हम "

©®अमनदीप/विम्मी

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