" किसे फिक्र थी यहां अपनी उड़ानों की
गलतियाँ ढूँढते फिरते थे आसमानों की "
©®अमनदीप/ विम्मी
आँखों में ही अश्क सँभल जाएँ तो बेहतर है
कुछ ज़ख्मों का यूँ भी बहना नहीं अच्छा।
©®अमनदीप/ विम्मी
तुम्हारे और मेरे प्यार में फर्क कहाँ था
मैं भी तुम को चाहती थी और तुम भी खुद को
इस तरह मेरा मैं और तुम्हारा तुम कभी नहीं टकराए
©®अमनदीप/ विम्मी
" दोस्त कहते थे जिसे वो बिक गया बाज़ार में
अपनी पसन्द पर नाज़ है कहते इतराते थे हम "
©®अमनदीप/विम्मी
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