माँ तकती रही रास्ता
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माँ दोपहर में नहीं सुनाती थी कहानियाँ
कहती थी, "मामा घर का रास्ता भूल जाते हैं"
सिर्फ़ इसी डर से फिर कभी नहीं चाहा मैंने
सुनना कहानियाँ ....
कितनी सफाई से माँ बहला देती थी मुझे अपने व्यस्ततम समय में
मैं गुड़िया सँग सो जाती लिपट कर
बिना कहानी सुने...
बावजूद इसके
"मामा कभी घर का रास्ता नहीं भूले"
माँ तकती रही रास्ता....
©®अमनदीप/विम्मी
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