गोलू पीली छतरी लाया
नाचा गाया ख़ूब इतराया
किसने देखी छतरी ऐसी
राजा की टोपी के जैसी
मैं तो हूँ राजा का बेटा
सावधान कोई मुझसे ऐंठा
पेड़ के नीचे सभा लगाई
तुम जनता मैं राजा भाई
बोला, सुनो ! एक कुर्सी लाओ
किसको क्या दुःख मुझे बताओ
कहो किसको क्या कहना है
सबको मिल जुल कर रहना है
बारिश संग तेज हवा तब आई
गोलू की छतरी पलटाई
हो गए पूरे कपड़े गीले
धुल गए सारे रंग चटकीले
सबने घर तक दौड़ लगाई
हो गई गोलू की जग हंसाई
हा हा हा हा ही ही ही ही
©®अमनदीप " विम्मी "