अनपढ़ लोग किताबें नहीं पढ़ पाते
पर पढ़ लेते हैं
मन और माथे पर चढ़ी त्योरियाँ
वे सफ़ेद कमीजों की आड़ में
नहीं करते काले धंधे
पाँच सितारा होटलों के बन्द कमरों में
नहीं रहते लिप्त अनर्गल कलापों में
गरीब होते हैं
पर
नहीं माँगते दहेज
वो तो सिर्फ दिन काटते हैं
कभी लड़ कर
कभी प्यार से
परत दर परत पालते हैं पीड़ा
नहीं मारते हक
सुना है
अनपढ़ लोगों में समझ नहीं होती......
©®अमनदीप / विम्मी
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