Wednesday, 25 September 2019

मन का रिश्ता


शारीरिक रूप से माँ न बन पाने वाली
औरतें
जोड़ लेती हैं रिश्ता
हर बच्चे के साथ ।
उसके नाक, कान, हाथ या बाहों की बनावट से
कभी उनकी लम्बाई या चौड़ाई से भी
या फिर उसके रोने, हँसने और रंग से जुड़ कर,
बहुत मीठी मुस्कुराहट होठों पर उतार
पूछतीं हैं नाम और पता ।
मन ही मन उस घर के आँगन में
अपनी परछाई टटोलतीं
या कभी बुहारती उस आँगन को
छोटे-छोटे, रंग-बिरंगे स्वेटर बुनती
याद करती हैं लोरियां
तितलियों में रँग भरने की कभी कोशिश
या मक्खन निकालते वक़्त कान्हा का ध्यान,
मानसिक रूप से माँ बनते ही
यूँ ही अकस्मात सब छोड़
दौड़ पड़ती हैं
सारे पूर्वाग्रहों को पछाड़
अनाथालय की तरफ़।

©®अमनदीप / विम्मी
25 / 09 2019

Monday, 23 September 2019

नहीं चाहती राम बनो तुम





अक्सर तुम्हारे काँधे पर सिर टिकाए
खिड़की के उस पार झाँकते
जब भी कहा मैंने
देखो, कितना सुन्दर है चाँद
मेरे बालों को प्यार से सहलाते
अंकित कर चुम्बन माथे पर
बार बार तुमने कहा
मेरा चाँद ज्यादा खूबसूरत है
क्या इसलिए-
कि तुम्हें दिखे चाँद पर दाग?
कल कभी मेरे अस्त- व्यस्त कपड़ों
या बिखरे बालों को लेकर
कसी जाएँ फब्तियाँ बेवजह
और मुँह करें चुगलियाँ
तुम्हारे भी  कानों तक पँहुचे फुसफुसाहटें
तब भी कहोगे चाँद से सुन्दर मुझे
या फिर 
यूँ करते हैं
तुम बनो चाँद
तुम्हारी हर विवषता के बावजूद
अपना लूँगी तुम्हें
मैं नहीं चाहती
राम बनो तुम!!!

अमनदीप / विम्मी
२३ / ०९ / २०१९

Sunday, 8 September 2019

काश



तुमने कहा मान लो
मान लिया मैंने
तुमने कहा मत बोलो
चुप रही मैं
तुमने कहा खाना साथ खाएँगे
आधी-आधी रात तक राह तकी मैंने
तुमने मुझे
कपड़ों, बालों, जूतों और न जाने
किस किस बात के लिए कहा
हर बात सुनी मैंने
काश जीने के लिए भी कहा होता
बिना किसी शर्त.....
जी लेती मैं।
©®अमनदीप/विम्मी

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