"वक़्त कितना भी कठिन क्यों न हो
दरवाजे की सिटकनियाँ
मुस्तैदी से बंद ..
न आ पा रही हो खुली ताजी हवा
तब भी
एक खिड़की पूरब की तरफ
खुली रखनी चाहिए हमेशा
कि वही खिड़की
आस की आस को जिंदा रखती है। "
,©®अमनदीप/विम्मी
दरवाजे की सिटकनियाँ
मुस्तैदी से बंद ..
न आ पा रही हो खुली ताजी हवा
तब भी
एक खिड़की पूरब की तरफ
खुली रखनी चाहिए हमेशा
कि वही खिड़की
आस की आस को जिंदा रखती है। "
,©®अमनदीप/विम्मी
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