Thursday, 9 July 2020

कुछ शेर

"फेहरिस्त दोस्तों की बढ़ती रही उधर

गुफ़्तगू करती रही तन्हाईयों से मैं"

©®अमनदीप/विम्मी



"बड़े बेमुरव्वत हैं मेरे शहर के लोग
 चाँदनी ली चाँद से दागी भी कह दिया"

©®अमनदीप/विम्मी




" सूरज रोशनी दे उसे छुप गया कहीं
चाँदनी अपनी समझ इतराता फिरा चाँद "

©®अमनदीप/विम्मी


" टूटता रहा टुकडों टुकडों न जाने कब से
दिल था जुड़ने का हुनर ढूंढता रहा  "

©®अमनदीप/विम्मी


नाम होना मेरा उनसे गवारा न हुआ
बही हाथ में लिए खुद ही खुदा बन बैठे हैं

©®अमनदीप/विम्मी

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