"फेहरिस्त दोस्तों की बढ़ती रही उधर
गुफ़्तगू करती रही तन्हाईयों से मैं"
©®अमनदीप/विम्मी
"बड़े बेमुरव्वत हैं मेरे शहर के लोग
चाँदनी ली चाँद से दागी भी कह दिया"
©®अमनदीप/विम्मी
" सूरज रोशनी दे उसे छुप गया कहीं
चाँदनी अपनी समझ इतराता फिरा चाँद "
©®अमनदीप/विम्मी
" टूटता रहा टुकडों टुकडों न जाने कब से
दिल था जुड़ने का हुनर ढूंढता रहा "
©®अमनदीप/विम्मी
नाम होना मेरा उनसे गवारा न हुआ
बही हाथ में लिए खुद ही खुदा बन बैठे हैं
©®अमनदीप/विम्मी
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