माँ नहीं होती तब ज्यादा बोलती है
अभी भी दिखती हो तुम
घर के पास वाले चौराहे से
तेज तेज कदमों से चल कर आती हुई
मुझे देखते ही हँस पड़ती हो
सीने से लगा कहती हो इंतज़ार कर रही थी....
अभी तो देखा तुम्हें
जामुन के पेड़ के नीचे
मेरे मना करने के बावजूद
नारंगी - नीला, मेरा सलवार कुर्ता पहने
कहती हो क्यों
अभी अच्छा तो है, कुछ दिन चलाया जा सकता है....
फिर से झिड़का है तुमने मुझे
धर्मयुग के मुख पृष्ठ पर
पोप की सुंदर फ़ोटो को सुंदर कहते हुए
कहती हो आजकल तुझे सब सुंदर लगते हैं...
कुछ देर पहले फिर कहा तुमने
सीख ले घर के काम
सास मुझे ही ताने देगी
तेरी माँ ने कुछ सिखाया नहीं तुझे....
देखा है तुम्हें
मेरी शादी का एक एक सामान इकट्ठा करते
आँखों ही आँखों नज़र उतारते
अपनी गहनों की पोटली खोल
अपनी शादी के गहनों का जोड़ा थमाते
जो तुझे पसन्द हो रख ले....
कई बार दरवाज़े से अभी भी
आ जाती है अंदर माँ
यूँ ही बैठी होती है सोफे पर
मंद-मंद मुस्काती
देखा कहती न थी मैं
माँ बनोगी तब जानोगी
ध्यान रखा कर अपना...
अपनी डायरी में
एक एक चीज का ब्यौरा लिखते
तुम अपनी लिखावट में
अपनी आवाज़ में
और सबसे ज्यादा ससुराल के लिए
विदा करते समय आँखों की चिंता में
आज भी बोलती हो.....
कहा था न मैंने
मां जब नही होती
ज्यादा बोलती है...
©®अमनदीप/विम्मी
अभी भी दिखती हो तुम
घर के पास वाले चौराहे से
तेज तेज कदमों से चल कर आती हुई
मुझे देखते ही हँस पड़ती हो
सीने से लगा कहती हो इंतज़ार कर रही थी....
अभी तो देखा तुम्हें
जामुन के पेड़ के नीचे
मेरे मना करने के बावजूद
नारंगी - नीला, मेरा सलवार कुर्ता पहने
कहती हो क्यों
अभी अच्छा तो है, कुछ दिन चलाया जा सकता है....
फिर से झिड़का है तुमने मुझे
धर्मयुग के मुख पृष्ठ पर
पोप की सुंदर फ़ोटो को सुंदर कहते हुए
कहती हो आजकल तुझे सब सुंदर लगते हैं...
कुछ देर पहले फिर कहा तुमने
सीख ले घर के काम
सास मुझे ही ताने देगी
तेरी माँ ने कुछ सिखाया नहीं तुझे....
देखा है तुम्हें
मेरी शादी का एक एक सामान इकट्ठा करते
आँखों ही आँखों नज़र उतारते
अपनी गहनों की पोटली खोल
अपनी शादी के गहनों का जोड़ा थमाते
जो तुझे पसन्द हो रख ले....
कई बार दरवाज़े से अभी भी
आ जाती है अंदर माँ
यूँ ही बैठी होती है सोफे पर
मंद-मंद मुस्काती
देखा कहती न थी मैं
माँ बनोगी तब जानोगी
ध्यान रखा कर अपना...
अपनी डायरी में
एक एक चीज का ब्यौरा लिखते
तुम अपनी लिखावट में
अपनी आवाज़ में
और सबसे ज्यादा ससुराल के लिए
विदा करते समय आँखों की चिंता में
आज भी बोलती हो.....
कहा था न मैंने
मां जब नही होती
ज्यादा बोलती है...
©®अमनदीप/विम्मी